30 Jul 2024 230 Views
रायपुर। प्रदेश में बिजली की बढ़ी हुई दरों के विरोध में 29 जुलाई की आधी रात से छत्तीसगढ़ के लगभग डेढ़ सौ से दो सौ लौह उद्योग अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए गए। इनमें मिनी स्टील प्लांट, फेरो एलॉय समेत अन्य उद्योग शामिल हैं। उद्योगपतियों का दावा है कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार हुए इतने बड़े बंद के चलते प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 5 लाख नौकरियां पर असर पड़ेगा। वहीं राज्य और केंद्र सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होगा। इस संबंध में राज्य शासन का पक्ष नहीं मिल पाया है।
राजधानी के एक होटल में हुई बैठक में लंबी चर्चा के बाद सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर बंद का ऐलान किया गया। बैठक में छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी, छत्तीसगढ़ री- रोलिंग मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष मनोज अग्रवाल, मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के महासचिव मनीष धूप्पड़, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल समेत सभी लौह एसोसिएशन के सदस्य मौजूद थे। बैठक में कहा गया है कि देश में छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर का लौह उत्पादक है तथा 85 प्रतिशत माल दूसरे राज्यों में छत्तीसगढ़ से जाता है। दूसरे राज्यों में बिजली की दर कम होने से छत्तीसगढ़ का लोहा महंगा हो गया है और हर दिन छत्तीसगढ़ के लौह उद्योगों को 3 हजार रुपए प्रति टन नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं फेरो अलॉयज उद्योगों का नुकसान 10 हजार रुपए प्रति टन हो रहा है। ऐसे में बंद का निर्णय लिया गया है। उद्योगों के बंद होने से पूरा चैनल प्रभावित होता है। रॉ मैटेरियल, ट्रांसपोर्ट, ऑक्सीजन सिलेंडर उद्योग, प्रदेश का व्यापार, डीजल पेट्रोल एवं अन्य सेवाएं भी प्रभावित होती है।
एक रुपए साठ पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि प्रदेश के उद्योगों को बंद करने बनी वजह
छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन, छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन एवं छत्तीसगढ़ स्टील रि-रोलर्स एसोसिएशन का दावा है कि विद्युत दर जो कुछ समय पहले प्रति यूनिट लगभग 6 रुपए थी उसे अचानक से बढ़ाकर प्रति यूनिट 7 रुपए 60 पैसे कर दिया गया है। बाकी स्टील उत्पादक राज्यों में बिजली दर नहीं बढ़ी है। इससे छत्तीसगढ़ का स्टील उद्योग अप्रतिस्पर्धी हो गया है। पिछले 8-10 वर्षों से स्टील उद्योगों को अनुदान एवं लोड फैक्टर प्रोत्साहन के माध्यम से विशेष राहत पैकेज देकर विद्युत टैरिफ को अन्य राज्यों से समकक्ष रखा जाता रहा था।
विद्युत मंडल को 8000 करोड़ प्रति वर्ष राजस्व
बिजली कंपनी के आंकड़े के अनुसार लगभग 1100 करोड़ यूनिट बिजली प्रति वर्ष स्टील उद्योगों में खपत होती है। लगभग 1100 करोड़ यूनिट प्रति वर्ष रुपए 7.63 औसत स्टील उद्योगों के लिए विद्युत दर के हिसाब से 8000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष बिजली कंपनी को राजस्व के रूप में प्रदान करते हैं।
जीएसटी का राजस्व का नुकसान
उद्योग जगत का कहना है कि स्टील उद्योग लगभग 1100 करोड़ यूनिट प्रति वर्ष खपत करता है। यह आंकड़ा छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित का है। 1100 करोड़ यूनिट से लगभग 8 मिलियन टन लोहे का उत्पादन हो सकता है। प्रति टन स्टील की कुल कीमत 45 हजार टन से गणना करें तो 45 हजार गुणा 8 मिलियन से 36 हजार करोड़ होता है, जिसमें 18 प्रतिशत जीएसटी के अनुसार कुल राजस्व लगभग 6 हजार करोड़ रुपए एवं इसके अतिरिक्त इंटिग्रेटेड स्टील प्लांट भी हैं। इस तरह हमारा मानना है कि लगभग 9 हजार करोड़ रुपए का जीएसटी स्टील उद्योग प्रदान करता है।