2050 तक कोयले के स्थान पर हाइड्रोजन से स्टील प्रोसेसिंग जरूरी, अभी से करें बदलाव : प्रवीण चतुर्वेदी

31 Aug 2024      140 Views

भारतीय इस्पात सम्मेलन में पहुंचे ट्रेनोवा कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट ने बताया 

भिलाई। भारतीय इस्पात सम्मेलन में शामिल होने भिलाई आए इटली की कंपनी टेनोवा कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट प्रवीण चतुर्वेदी ने बताया कि भिलाई स्टील प्लांट में कोयले की मदद से आयरन ओर का उपयोग कर स्टील उत्पादन किया जाता है। इस प्रोसेस में कोयले से बायो प्रोडक्ट के तौर पर सीई-2 (कार्बन) का उत्सर्जन होता है। यह पर्यावरण को प्रदूषित करता है। हमारी कंपनी ऐसी टेक्नोलॉजी सप्लायर है, जो इस्पात उत्पादन में कोयले को रिप्लेस कर हाइड्रोजन का उपयोग करती है। इस दौरान बायो प्रोडक्ट के तौर पर एच 2 ओ जनरेट होता है। हाइड्रोजन बेस्ड स्टील आज के समय में बहुत बड़ा विषय है। खासकर भारत सरकार इसे गंभीरता से ले रही है। 2050 तक जितने भी स्टील उत्पादन करने वाले संयंत्र है, वे हाइड्रोजन बेस्ड स्टील का ही उत्पादन करेंगे। रोजगार के बड़े अवसर उन्होंने बताया कि भारत विकासशील देश है। यहां रेल, सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर के काम जारी है।

इस वजह से स्टील की मांग अधिक है। ऐसे में स्टील प्लांट के साथ-साथ इससे जुड़े हुए सहायक उद्योगों में भी उत्पादन अधिक होता रहेगा। स्टील प्लांट समेत दूसरे उद्योगों में भी रोजगार के अवसर बने रहेंगे।

 चीन और यूरोप में कंपनी के तकनीक का हो रहा इस्तेमालः उन्होंने बताया कि चीन और यूरोप के प्लांट में हमारी कंपनी ने इस तकनीक को लगाया है। वहां हाइड्रोजन का इस्तेमाल कर स्टील का उत्पादन किया जा रहा है। भारlमें अब तक इसके इस्तेमाल से इस्पात का उत्पादन नहीं हो रहा है। इस तकनीक का इस्तेमाल सेल, टाटा, जेएसपीसीएल समेत दूसरी तमाम बड़ी कंपनी कर सकती है।