24 Apr 2025 72 Views
New Labor Code 2025 (नया श्रम संहिता 2025) : भारत में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों के लिए साल 2025 का नया श्रम संहिता (Labour Code) कई बड़े बदलाव लेकर आया है। अब कर्मचारियों को हफ्ते में 5 नहीं बल्कि सिर्फ 4 दिन काम करना होगा और बाकी के 3 दिन उन्हें छुट्टी मिलेगी। लेकिन इसके साथ ही सैलरी, ओवरटाइम और पीएफ जैसे नियमों में भी कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव न सिर्फ कर्मचारियों की वर्क-लाइफ बैलेंस को बेहतर बनाएंगे, बल्कि कंपनियों की प्रोडक्टिविटी पर भी असर डाल सकते हैं।
सरकार ने 2025 के नए श्रम संहिता के तहत यह सुविधा दी है कि कंपनियां चाहें तो अपने कर्मचारियों से हफ्ते में 4 दिन ही काम करवा सकती हैं। हालांकि इसमें एक शर्त है – चारों दिन कर्मचारियों को 12-12 घंटे काम करना होगा।
मुख्य बिंदु:
कई लोगों को चिंता है कि 3 दिन छुट्टी होने से कहीं सैलरी में कटौती तो नहीं होगी? इसका जवाब है – नहीं। अगर आप 48 घंटे हफ्ते के पूरा करते हैं, तो आपकी सैलरी में कोई कटौती नहीं होगी।
बिंदु | पहले (5-6 दिन काम) | अब (4 दिन काम) |
---|---|---|
कुल घंटे प्रति सप्ताह | 48 घंटे | 48 घंटे |
प्रति दिन काम के घंटे | 8-9 घंटे | 12 घंटे |
साप्ताहिक छुट्टी | 1-2 दिन | 3 दिन |
सैलरी | यथावत | यथावत |
उदाहरण:
मुंबई में रहने वाली एक IT कंपनी की कर्मचारी पूजा कहती हैं, “अब मुझे तीन दिन का ब्रेक मिलेगा जिससे मैं अपनी फैमिली और खुद के लिए ज्यादा वक्त निकाल सकूंगी। शुरुआत में 12 घंटे का शेड्यूल थोड़ा भारी लगेगा, लेकिन तीन दिन छुट्टी एक बड़ी राहत है।”
सरकार का उद्देश्य है कि कर्मचारियों को बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस मिले और कंपनियां लचीलेपन के साथ काम कर सकें। कई स्टार्टअप्स और IT कंपनियां इस नियम को अपनाने के लिए तैयार भी दिख रही हैं।
संभावित फायदे:
ओवरटाइम:
छुट्टियां:
नए श्रम संहिता के अनुसार अब बेसिक सैलरी कुल सैलरी का 50% या उससे अधिक होनी चाहिए। इससे पीएफ की राशि भी बढ़ेगी।
असर:
मेरे खुद के कुछ जानकार जो कॉल सेंटर और IT सेक्टर में काम करते हैं, उन्होंने इस बदलाव को एक सकारात्मक कदम बताया है। हालांकि शुरुआत में 12 घंटे का कार्यदिवस थका देने वाला लगता है, लेकिन तीन दिन की छुट्टी उन्हें मानसिक और पारिवारिक राहत देती है। खासकर महिलाएं और युवा इस बदलाव से ज्यादा खुश नजर आए हैं।
किन्हें हो सकता है ये बदलाव भारी?
नया श्रम संहिता 2025 भारत के कार्यबल के लिए एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो मानसिक थकान और जीवन में असंतुलन महसूस कर रहे थे। हालांकि हर किसी के लिए यह बदलाव समान रूप से अनुकूल नहीं होगा, लेकिन जो कंपनियां अपने कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देती हैं, उनके लिए यह मॉडल काम कर सकता है।
यह लेख नए श्रम संहिता 2025 में प्रस्तावित बदलावों पर आधारित है। कंपनियां इन नियमों को अपनाने के लिए बाध्य नहीं हैं, यह उन पर निर्भर करता है कि वे किस मॉडल को अपनाती हैं।